परिभाषा –
जी ० एम . (जेनेटिकली मॉडिफाइड) फसलें वे फसलें हैं जिनके अनुवांशिक पदार्थ में बदलाव किए जाते हैं । ऐसी फसलों के जीन कृत्रिम रूप से संशोधित किए जाते हैं । ऐसी फसलों की उपज में वृद्धि खरपतवार के प्रति सहिष्णुता , रोग . या सूखे के प्रतिरोध और इसमें पोषक सुधार के लिए किया जाता है । आनुवौशिक पहचान की जाती हैं । यह परिस्थितियों में होता है । ( आनुवांशिक संशोधित ) ] फसते हैं जिनके आनुवांशिक पदार्थ ( DNA रूप से संशोधित करने के लिए रुचि के जीन की परीक्षण प्रयोगशाला और खेत की परिस्थितियों में होता है।
भारत में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जेनेटिक इंजीनियरिंग –
मूल्यांकन संशोधित बीजों के लिए स्थापित और हैं । इसे पर्यावरण द्वारा स्थापित भारत में जी.एम. और नियम निम्न पर्यावरण संरक्षण जैविक विविधता क्वारंटाइन खादय सुरक्षा और औषधि और प्रसाधन → प्लांट > किया गया है । है फसलों को विनियमित करने वाले अधिनियम 07 समिति किया गया है। भारत का सर्वोच्च नियामक [ GEAC ] आनुवांशिक रूप से जलवायु परिवर्तन मंत्रालय [ MOEFCC अधिनियम 1986 2002 अधिनियम आर्डर 9003 मानक अधिनियम 2006 सामग्री नियम ( 8 संशोधन ) , 1988. ।

भारत में जी. एम. फसलें –
भारत में कपास की खेती के तहत Do BT कपास भारत कपास का बन 9048 दूसरा बड़ा गया है । क्षेत्र मे उत्पादक BI – बैंगन उत्पादन को भारत के शीर्ष GEAC ने 2009 में इसके वाणिज्यिक मंजूरी दे दी हैं । की जी.एम. सरसों भारत सरकार था एनवायरमेंट क्लीयरेंस दे दी हैं । धारा सरसों हाइब्रिड [ DMH – 117 एक स्वदेशी रूप से विकसित ट्रांसजनिक सरसों हैं । यह हर्विसाइड टॉलरेंट ( HT ) सरसों का अनुवांशिक तौर पर संशोधित हैं लगभग रूप से विकसित आनुवांशिक रूप से संशोधित सरसों के बीज के लिए है।
G.M फसलें-
भारत में कपास की खेती के तहत Do BT कपास भारत कपास का बन 9048 दूसरा बड़ा गया है । क्षेत्र मे उत्पादक BI – बैंगन उत्पादन को भारत के शीर्ष GEAC ने 2009 में इसके वाणिज्यिक मंजूरी दे दी हैं । की जी.एम. सरसों भारत सरकार था एनवायरमेंट क्लीयरेंस दे दी हैं । धारा सरसों हाइब्रिड [ DMH – 117 एक स्वदेशी रूप से विकसित ट्रांसजनिक सरसों हैं । यह हर्विसाइड टॉलरेंट ( HT ) सरसों का अनुवांशिक तौर पर संशोधित हैं लगभग रूप से विकसित आनुवांशिक रूप से संशोधित सरसों के बीज के लिए है।
जीएम फसलों के लाभ –
G.M. फसलों के लाभ के अनुसार बदलाव किया ये बीज सूखा – रोधी होते नहीं होती । आम फसलों के आवश्यकता इससे पैसवार उत्पादन बढ़ता है । , श्री.एम. फसलों के बीजों में वैज्ञानिक का प्रयोग कर अपनी आवश्यकता है । अधिक कीटनाशक डालने की भी मुकाबले कई गुना होती हैं ।
जीएम फसलों के नकारात्मक पक्ष –
जी ० एम . फसलों के नकारात्मक पक्ष आयात इनके बीजों के फसल से नहीं बनाया जा इन फसलों के बीज आम फसलों की तरह खेत में उगी इन्हें किसी विशेष कंपनी से करना पड़ता हैं जो इन्हें महंगे दामों पर बेचती है । सकता वरन एक बार उपयोग के पुन : उपयोग में नहीं लाया जा सकता जीएम फसलों के कारण स्थानीय फसलों के लिए खतरा पैदा हो जाता है । इससे जैव विविधता पर भी हानिकारक प्रभाव देखने मिल सकता है ।
निष्कर्ष-
से मानवीय 99 एक ओर जहाँ अर्थव्यवस्था को बेहतर करने जीएम ओर फसले लाभकारी हैं तो दूसरी जीवन तथा पर्यावरण को नुकसान पहुँचने इस पर तथा शोध शोध करने वाली इनके माध्यम की संभावना समितियो अतः विचार इसके दोनों पक्षों पर विचार करते हुए निर्णय लेने की आवश्यकता है।