बिरसा मुंडा जयंती 15 नवंबर
• 15 नवंबर , 1875 को जन्मे बिरसा मुंडा का संबंध छोटानागपुर पठार की मुंडा जनजाति से था ।
• उन्हें धरती अब्बा / बाबा ( जगत पिता ) के रूप में भी जाना जाता है ।
• मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी समुदाय को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई थी ।
• उन्होंने औपनिवेशिक अधिकारियों को आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा करने वाले कानूनों को पेश करने के लिए मजबूर किया था ।
• मुंडा ने लोगों को जगाने के लिए पारंपरिक प्रतीकों और भाषा का प्रयोग किया व अपने नेतृत्व में उनसे ‘ रावण ‘ ( दीकु अर्थात बाहरी ; जैसे यूरोपीय ) को समाप्त करके , एक राज्य स्थापित करने का आग्रह किया ।
• ब्रिटिश औपनिवेशिक शासक और आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की मिशनरियों की चाल को समझकर मुंडा ने ‘ बिरसैत ‘ आस्था की शुरुआत की थी ।
• इसके अलावा , उन्होंने मुंडाओं से शराब पीना छोड़ने , अपने गाँव को साफ करने व जादू – टोना और उसमें अविश्वास करने का आग्रह किया ।
• 3 मार्च , 1900 को मुंडा को ब्रिटिश पुलिस ने जामकोपई जंगल में अपनी आदिवासी छापामार सेना के साथ सोते समय गिरफ्तार कर लिया था ।
• 9 जून , 1900 को 25 साल की छोटी उम्र में ही रांची जेल में उनका निधन हो गया था ।
मुंडा विद्रोहः
• वर्ष 1899-1900 में हुआ मुंडा विद्रोह जनजातीय विद्रोहों / आंदोलनों में से एक है । इसे ‘ मुंडा उलगुलान ‘ ( विद्रोह ) भी कहा जाता है ।
• इसका नेतृत्व रांची के दक्षिण में बिरसा मुंडा ने किया था ।
विद्रोह के निम्न कारण थे
• अंग्रेजों की भूमि नीतियाँ उनकी पारंपरिक भूमि व्यवस्था को ख़त्म कर रही थीं ।
• जमींदार और साहूकार उनकी जमीन पर कब्जा कर रहे थे ।
• मिशनरी उनकी पारंपरिक संस्कृति पर तंज कस रहे थे ।
अन्य बातें :
• गौरवपुरुष बिरसा मुंडा की जयंती पर ‘ बिहार पुनर्गठन अधिनियम ‘ द्वारा 15 नवंबर , 2000 को झारखंड अस्तित्व में आया था ।
• 15 नवंबर को ही ‘ जनजातीय गौरव दिवस ‘ भी मनाया जाता है , जिसकी शुरुआत वर्ष 2021 में हुई थी ।
• ‘ बिरसा मुंडा : जनजातीय नायक ‘ बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित , प्रो . अशोक चक्रवाल द्वारा लिखित एक पुस्तक है ।