श्री लाल बहादुर शास्त्री जी कि जीवनी –
श्री लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे , उनका कार्यकाल 9 जून , 1964 से 11 जनवरी , 1966 तक रहा था । उन्होंने ‘ जय जवान जय किसान ‘ का नारा दिया और भारत के भविष्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था । जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता जी का देहांत हो गया था । लाल बहादुर शास्त्री ब्रिटिश शासन की अवज्ञा में स्थापित किये गए कई राष्ट्रीय संस्थानों में से एक वाराणसी के काशी विद्या पीठ में शामिल हुए । विद्या पीठ द्वारा प्रदत्त स्रातक की डिग्री का नाम ‘ शास्त्री ‘ था लेकिन लोगों के दिमाग में यह उनके नाम के एक भाग के रूप में बस गया । 1927 में उनकी शादी ललिता देवी से हुई । महात्मा गांधी से प्रभावित होकर लाल बहादुर शास्त्री अपनी पूर्ण ऊर्जा के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हो गए । उसके बाद उन्होंने कई विद्रोही अभियानों का नेतृत्व किया एवं कुल सात वर्षों तक ब्रिटिश जेलों में रहे ।
श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का राजनीतिक जीवन –
1946 में जब कांग्रेस सरकार का गठन हुआ तो उन्हें अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया और जल्द ही वे गृह मंत्री के पद पर भी आसीन हुए । वे 1951 में नई दिल्ली आ गए एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला । वे रेल मंत्री , परिवहन एवं संचार मंत्री , वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री , गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे । एक रेल दुर्घटना , जिसमें कई लोग मारे गए थे , के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानते हुए उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था । उन्होंने भारत में आनंद , गुजरात के ‘ अमूल दूध सहकारी समिति ’ का समर्थन और ‘ राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ‘ का निर्माण करके श्वेत क्रांति बढ़ावा दिया । भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने वर्ष 1965 में भारत में हरित क्रांति को बढ़ावा दिया ।

वर्ष 1964 में उन्होंने सीलोन में भारतीय तमिलों की स्थिति के संबंध श्रीलंका के प्रधानमंत्री सिरीमावो भंडारनाइके के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये । इस समझौते को श्रीमावो – शास्त्री संधि के रूप में जाना जाता है । उन्होंने 10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान के साथ वर्ष 1965 के भारत – पाकिस्तान युद्ध को समाप्त करने के लिये ताशकंद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये । 11 जनवरी , 1966 को ताशकंद में उनकी मृत्यु हो गई थी । उन्हें वर्ष 1966 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ भारत ‘ से सम्मानित किया गया था ।