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क्रान्तिकारी शहीद उधम सिंह के बारे में जानें –

मैं जला हुआ राख नहीं अमरदीप जो मिट गया वतन पर मैं वह शहीद हूं भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज करवाने वालों में से एक नाम शहीद उधम सिंह का भी है 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के एक गांव में उनका जन्म हुआ जन्म के कुछ समय बाद उनकी माता जी की मृत्यु हो गई वह अपने भाई और पिताजी के साथ जिंदगी बिता ही रहे थे कि उनके पिता का भी निधन हो गया इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी

13 अप्रैल 1919 जलियांवाला बाग हत्या काण्ड –

13 अप्रैल 1919 में बैसाखी वाले दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सभा हो रही थी और इस सभा में ब्रिटिश सरकार के जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाकर लोगों की निर्मम हत्या कर दी इस घटना के वक्त उस दिन उधम सिंह भी जालियांवाला बाग में ही थे और यह विधि का विधान ही था कि वह इस घटना में घायल ही हूं दर्दनाक घटना ने उनके अंदर यहीं से उधम सिंह ने कर लिया और उसके साथियों के गुनाहों के खून का बदला लेकर ही रहेंगे क्रांति की भावना मन में लिए हुए उधम सिंह की मुलाकात कई वीर क्रांतिकारियों से जिनसे उन्हें अपना बदला पूरा करने की प्रेरणा मिलती रहे और कई देशों में घूम कर गदर पार्टी का दिशा निर्देशन कर ही रहे थे इसी बीच 13 जुलाई 1927 में खबर आई कि जालियांवाला बाग में

 उधम सिंह के बारे में जानें
उधम सिंह

नरसंहार करने वाले जनरल डायर की ब्रेन हेमरेज के कारण लेकिन उधम सिंह का बदला अभी पूरा नहीं हुआ था जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय जो पंजाब का गवर्नर था उससे बदला लेना अभी लेकर चलते हुए 21 साल बाद यानी 13 मार्च 1940 को लंदन के कैप्टन हॉल में अपने साथियों के साथ उपस्थित था और घात लगाए उधम सिंह ने अपनी पिस्तौल से भरी सभा में माइकल और उसके साथियों को सैकड़ों बेगुनाह भाई बहनों की मौत का बदला सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और ब्रिटिश शासकों ने 31 जुलाई 1940 को उन्हें भी हंसते-हंसते फांसी के फंदे को गले लगा शहीद हो गए जो देश की आन के लिए यह देश यह आवाम आपकी शहादत का हमेशा करता है आज समस्त परिवार शहीद उधम सिंह जी को उनकी शहादत पर कोटि कोटि नमन करता है

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