दशहरा |
“होती जीत सत्य की और असत्य की होती हार,
यही संदेश देता है दशहरे का त्यौहार”
दुनिया में हर बुराई का अंत होना तय है भले ही वह बुराई धर्म पर अधर्म की हो या सत्य पर असत्य की और इन कुरीतियों का विनाश कर उस पर विजय पाना निश्चित ही है इसी तरह भारत में विजय के रूप में मनाने वाला दशहरा भारत का एक प्रमुख त्योहार है यह त्यौहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्री रामचंद्र जी ने अधर्म पर धर्म की जीत करते हुए नवरात्रों में चल रहे इस युद्ध में लंकापति रावण का वध किया था और इस पावन दिन के साथ एक पौराणिक रोचक कथा और भी जुड़ी है जिसके अनुसार देवी दुर्गा ने 9 रात और 10 दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर नामक राक्षस का वध कर विजय प्राप्त की थी। इन्हीं कारणों से इस त्यौहार को विजयदशमी भी कहा जाता है ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन जो भी कार्य आरंभ किया जाता है उसमें विजय मिलती है दशहरा भारत के हर राज्य में विशेष उल्लास के साथ मनाया जाता है इस दिन भव्य मेले का आयोजन होता है जगह-जगह रामलीला का मंचन भी होता है और पूरे 9 दिन चल रही रामलीला के दसवें दिन सायंकाल में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के विशाल पुतलों का दहन कर दिया जाता है लेकिन दोस्तों आज जरूरत आन पड़ी है कि भगवान राम के आदर्शों पर चलते हुए हम अपने अंदर पल रहे रावण रूपी तत्वों का भी अंत करें कहने का तात्पर्य यह है कि हमें भी अपने अंदर की बुराई कुकर्म और बदले की भावना का भी अंत करना चाहिए अंधकार का नाश करते हुए एक दीपक की तरह अपनी रोशनी बिखेरते हुए और अधर्म को धर्म की राह पर ले जाते हुए हम सब को एकजुट होकर सावधानी और हर्षोल्लास के साथ इस पावन दिन को मनाना चाहिए आज समस्त परिवार आप सभी देशवासियों के लिए दुआ करता है कि आपके जीवन में कभी गम ना आए आपके जीवन में कभी गम ना आए और आप सभी को विजयादशमी की ढेर सारी शुभकामनाएं।
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